विज्ञान यानी की साइंस आज अपने चरम पे है। साइंस की दुनिया में जितनी तरक्की पिछले 100 सालों में की गई है उतनी तरक्की उससे पहले पूरे मानव इतिहास में नहीं हुई। लेकिन आज बहुत से ऐसे सवाल हैं जिनका साइंस के पास कोई सही जवाब नहीं है।
कॉन्शियसनेस क्या है?
चेतना यानी की कॉन्शियसनेस क्या है इसका जवाब आज तक साइंस सही तरीके से नहीं दे पाई है। कॉन्शियसनेस कैसे बनती है ओर क्या यह हमारे दिमाग का अलग अलग जगह के कॉन्बिनेशन से बनती है या दिमाग का कोई खास हिस्सा हमें कॉन्शियस रखता है इसका जवाब साइंस नहीं दे पाया है।
हम सपना क्यों देखते हैं?
हम सभी सपना देखते हैं एक बहुत आम सी बात है लेकिन साइंस की नजर में देखा जाए तो एक पेचीदा सवाल है क्योंकि अब तक यह सही तरीका पता नहीं लगाया जा सका है कि हम सपना क्यों देखते हैं ब्रेन के ऊपर किए गए एडवांस्ड रिसर्च से यह अनुमान लगाया गया है कि सपने देखने से याददाश्त संरचना और इमोशन को फील करने की एबिलिटी बढ़ती है। खैर यह बस अनुमान है कोई ठोस जवाब नहीं है।
क्या हम इस यूनिवर्स में अकेले हैं?
आगर साइंस की नजर से देखें तो बिल्कुल भी नहीं ऐसे बहुत से प्लैनेट्स होंगे हमारी यूनिवर्स में जिसमें लाइफ हो सकती हैं फिर सवाल उठता है की हमें अभी तक कुछ पता क्यों नहीं चला कि और कहीं जीवन है या नहीं।
जीवन की शुरुआत कैसे हुई थी?
साइंस के मुताबिक करोड़ों साल पहले कुछ केमिकल अपने आप से मिलकर ऐसा पेटर्न बनाया जो खुद का प्रतिरूप यानी कि रिप्लिकेट कर सकें और आज के पृथ्वी का जो सारा जीव जगत कहीं ना कहीं उस घटना से जुड़ा है और एवोल्यूशन से यहां तक पहुंचा है। लेकिन बहुत से वैज्ञानिक इसे नहीं मानते इसका कोई ठोस सबूत आज तक नहीं मिला कुल मिलाकर साइंस नजर में यह आज भी एक मिस्ट्री है कि जीवन की शुरुआत कैसे हुई थी।
हमारा यूनिवर्स किस चीज से बना है?
वैज्ञानिकों के अनुसार हम अपने युग बर्स में जो कुछ भी देखते हैं यानी की मैटर को सिर्फ पूरी यूनिवर्स का 5% है बाकी 95% क्या चीज है जिसे यूनिवर्स बना है इसके बारे में अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है हालांकि इस को एक नाम दिया गया है यह एंटीमैटर लेकिन इसके बारे में किसी को कुछ सही तरीके से जानकारी नहीं की क्या चीज है।
क्या पैरेलल यूनिवर्स होते हैं?
यह साइंस का एक बहुत ही पेचीदा सवाल है। अगर हम बिगबैंग और स्ट्रिंग थ्योरी को सच मान ले तो पैरेलल यूनिवर्स सच में होंगे। इमेजिन कीजिए एक ऐसा यूनिवर्स होगा जिसमें आप भारत के पीएम होंगे। या एक ऐसा यूनिवर्स होगा जिसमें आप इंटरनेशनल क्रिकेटर होंगे। और एक ऐसा भी यूनिवर्स होगा जहां पर आप आप ही होंगे बस इस वक्त एक अलग ड्रेस पहने होंगे। खैर कई साइंटिस्ट मानते हैं कि पैरेलल यूनिवर्स होते हैं लेकिन साबित करना नामुमकिन है।
ब्लैक होल के अंदर क्या
ब्लैक होल आप सभी को आइडिया होगा कि क्या है। जब बहुत सारा मास ग्राविटी के जरिए एक छोटे से जगह पर इकट्ठा हो जाए और एक बहुत डेंस वस्तु बन जाए तो ब्लैक होल कहलाता है। अब कोई नहीं जानता कि ब्लैक होल में एक्चुअली होता क्या है। साइंटिस्ट ने पता लगाया है कि ब्लैक होल के सरफेस में वक्त रुक जाता है डेंसिटी के कारण तो क्या अगर ब्लैक होल में अंदर जाएं तो वक्त उल्टा चलेगा। सिचुएशन हमारे दिमाग की समझ के बाहर है और साइंस के भी।
कार्बन डाइऑक्साइड का सफाया कैसे होगा?
सैकड़ों सालों से इंसान पोलूशन फेला रहा है। पलूशन का एक हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड को माना जाता है। सैकड़ों सालों से इंसान कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में छोड़ चुका है जो कि धरती में बोन्ड के रूप में था। अब सवाल आता है की इस सारे कार्बन को फिर से धरती पर लॉक कैसे किया जाए जैसे वह पहले था। इसका जवाब साइंस के पास भी नहीं है।
समंदर की गहराई कितना है?
ऐसा कहा जाता है जितना हम स्पेस और ब्रह्मांड के बारे में जानते हैं उतना हम अपनी ही धरती में मौजूद समुंदर के बारे में नहीं जानते। ओर यह सही भी है क्योंकि इंसान ने अब तक सिर्फ 5% समंदर की गहराई की खोज की हे। बाकी 85% समंदर की गहराई अभी तक एक्सप्लोर नहीं हुई हैं।